कामाख्या मंदिर भारत के असम राज्य के गुवाहाटी शहर में स्थित एक प्रसिद्ध और ऐतिहासिक हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर देवी कामाख्या को समर्पित है, जो शक्ति की देवी हैं और दस महाविद्याओं में से एक के रूप में पूजी जाती हैं। यह मंदिर शक्तिपीठों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे तंत्र साधना और शाक्त पंथ के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थान माना जाता है। कामाख्या मंदिर का इतिहास और धार्मिक महत्व अत्यंत समृद्ध और प्राचीन है।
कामाख्या मंदिर का ऐतिहासिक महत्व:
कामाख्या मंदिर एक अत्यंत प्राचीन मंदिर है, जिसका इतिहास हज़ारों वर्षों पुराना है। इस मंदिर का उल्लेख विभिन्न हिन्दू धार्मिक ग्रंथों, पुराणों और तंत्र शास्त्रों में मिलता है। कामाख्या मंदिर शक्तिपीठों में शामिल है, जिनका अस्तित्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है।
1. कामाख्या मंदिर का नामकरण:
कामाख्या मंदिर का नाम देवी कामाख्या से लिया गया है। “काम” का अर्थ है प्रेम या इच्छाएँ और “अख्या” का अर्थ है नाम या पहचान। देवी कामाख्या का रूप प्रेम और इच्छाओं की देवी के रूप में प्रतिष्ठित है। माना जाता है कि देवी के शरीर के विभिन्न अंगों की पूजा इन शक्तिपीठों में की जाती है, और कामाख्या में देवी के योनिद्वार की पूजा की जाती है।
2. महाकवि कालिदास का उल्लेख:
कामाख्या मंदिर का उल्लेख महाकवि कालिदास द्वारा भी किया गया है। वह शिवपुराण में कामाख्या मंदिर के महत्व को दर्शाते हैं और इसे तंत्र और शाक्त साधना का केंद्र बताते हैं।
3. सिद्धपीठ और तंत्र साधना:
कामाख्या मंदिर एक प्रमुख सिद्धपीठ है, जो विशेष रूप से तंत्र साधकों और शाक्त पंथ के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है। इस मंदिर में देवी के दर्शन और पूजन के दौरान तंत्र क्रियाओं का विशेष महत्व होता है।
4. इतिहास और संरचना:
कामाख्या मंदिर की वर्तमान संरचना का निर्माण 12वीं शताब्दी में पलासि राजवंश के शासक द्वारा करवाया गया था, हालांकि इसके पहले भी यह स्थान पूजा स्थल के रूप में प्रसिद्ध था। इस मंदिर का स्थापत्य प्राचीन भारतीय वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। यहाँ देवी की पूजा मुख्य रूप से योनिपीठ (वह स्थान जहाँ देवी का योनिद्वार माना जाता है) पर की जाती है।
5. मंदिर के आंतरिक दर्शन:
कामाख्या मंदिर में देवी की मूर्ति नहीं है, बल्कि यहाँ योनिपीठ का पूजन किया जाता है। योनिपीठ में देवी की पवित्रता और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। यहाँ के गर्भगृह में एक प्राकृतिक गुफा है, जिसमें एक जलधारा बहती है और वह जलधारा देवी के शakti स्वरूप के रूप में मानी जाती है। यह जलधारा मंदिर के पवित्रतम स्थान का हिस्सा है और इसे पूजा में विशेष स्थान दिया जाता है।
कामाख्या मंदिर का प्रमुख पर्व:
अंबुबाची मेला: कामाख्या मंदिर में हर साल अंबुबाची मेला आयोजित किया जाता है, जो एक विशेष पर्व है। यह मेला विशेष रूप से देवी कामाख्या के रजस्वला (मासिक धर्म) होने की मान्यता के आधार पर मनाया जाता है। यह मेला जून महीने में आयोजित होता है और इसमें लाखों श्रद्धालु और तांत्रिक साधक भाग लेते हैं। इस समय मंदिर में पूजा का बंद रहता है, और श्रद्धालु देवी के विशेष पूजन में भाग लेते हैं।
कामाख्या मंदिर का महत्व:
- शक्तिपीठ: कामाख्या मंदिर को शक्तिपीठ के रूप में पूजा जाता है। हिंदू धर्म में शक्तिपीठों का विशेष स्थान है, और यह माना जाता है कि यहाँ देवी सती का योनिद्वार गिरा था जब भगवान शिव ने सती के शरीर को संसार में निरंतर भ्रमण करने के लिए रखा था। यह स्थान उन शक्तिपीठों में से एक है जहाँ देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे।
- तंत्र साधना: कामाख्या मंदिर विशेष रूप से तंत्र साधना और शाक्त पंथ के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण है। यहाँ तांत्रिक अनुष्ठान और साधना के लिए एक आदर्श स्थल माना जाता है। मंदिर में तंत्र मंत्रों और विभिन्न साधनाओं का अभ्यास होता है।
- धार्मिक विविधता: कामाख्या मंदिर न केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि पूरे विश्व के तांत्रिक साधकों और शाक्त पूजा करने वालों के लिए एक प्रमुख स्थल है। यहाँ विभिन्न धार्मिक परंपराओं के लोग आते हैं और अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।
कामाख्या मंदिर के आसपास के स्थल:
कामाख्या मंदिर के आस-पास कई अन्य प्रमुख धार्मिक स्थल भी हैं, जैसे:
- नीलांचल हिल्स: जहाँ मंदिर स्थित है और जहाँ से गुवाहाटी शहर का अद्भुत दृश्य देखा जा सकता है।
- बासी मंदिर: यह मंदिर भी शक्तिपीठों में से एक है और देवी बासी की पूजा होती है।
- कटकुरी मंदिर: यहाँ देवी कटकुरी की पूजा होती है, जो कामाख्या मंदिर के निकट है।
निष्कर्ष:
कामाख्या मंदिर का इतिहास और धार्मिक महत्व अत्यधिक प्राचीन और अद्वितीय है। यह मंदिर न केवल असम बल्कि पूरे भारत और दुनिया भर के भक्तों के लिए एक श्रद्धा का केन्द्र है। देवी कामाख्या की पूजा शाक्त पंथ की एक अद्वितीय परंपरा है, और कामाख्या मंदिर में तंत्र साधना के विशेष अवसर भी होते हैं। यह मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।